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🌹 *हिंदी दिवस की शुभकामना* 🌹
हिंदी दिवस के अवसर पर *हमारे विद्यालय की सिद्धी पाटील इस छात्रा ने किया भाषण जरूर सुनिए* ,
🌷 *हिंदी दिवस-14 सप्टेंबर-*
*अप्रतिम भाषण (सिद्धी पाटील)*
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*👍सर्व विद्यार्थ्यांनी ऐकलेच पाहिजे असे भाषण-*...
*कोरोनाच्या पार्श्वभूमीवर शाळेत "हिंदी दिन" साजरा होऊ* *शकला नाही* .म्हणून *सिद्धी पाटील* या *नवमहाराष्ट्र विद्या.खराबवाडी च्या विद्यार्थिनी ने घरीच राहुन "हिंदी दिन" निमित्त सर्वांना शुभेच्छा* दिल्या .
*तिने केलेले अप्रतिम भाषण अवश्य पहा*
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संपुर्ण हिंदी व्याकरण और टेस्ट सोडवा
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14 सितंबर को क्यों मनाया जाता है 'हिंदी दिवस', जानिए इसकी खास बातें
14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है। सरकारी विभागों में हिंदी की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। साथ ही हिंदी प्रोत्साहन सप्ताह का आयोजन किया जाता है। स्कूलों में भी हिंदी प्रतियोगिताएं आयोजित करायी जाती है।
हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है और इसे राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। हिंदी के महत्व को बताने और इसके प्रचार प्रसार के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अनुरोध पर 1953 से प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
1918 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए पहल की थी। गांधी जी ने हिंदी को जनमानस की भाषा भी बताया था।
इस पर साल 1949 में स्वतन्त्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर 14 सितंबर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जिसे भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343(1) में बताया गया है कि राष्ट्र की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। क्योंकि यह निर्णय 14 सितंबर को लिया गया था। इसी वजह से इस दिन को हिन्दी दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया।
लेकिन जब राजभाषा के रूप में हिंदी को चुना गया और तो गैर हिन्दी भाषी राज्य खासकर दक्षिण भारत के लोगों ने इसका विरोध किया फलस्वरुप अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा।
लेकिन आज के समय में हिंदी भाषा लोगों के बीच से कहीं-न-कहीं गायब होती जा रही है और इंग्लिश ने अपना प्रभुत्व जमा लिया है। यदि हालात यही रहे तो वो दिन दूर नहीं जब हिंदी भाषा हमारे बीच से गायब हो जाएगी। हमें यदि हिंदी भाषा को संजोए रखना है तो इसके प्रचार-प्रसार को बढ़ाना होगा। सरकारी कामकाज में हिंदी को प्राथमिकता देनी होगी। तभी हिंदी भाषा को जिंदा रखा जा सकता है।
संकलन ःः अशोक शिंदे
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